लेखनी प्रतियोगिता -18-Jul-2023
शीर्षक :मन का शोर
मेरे मन का शोर उमड़ता उमड़ता करता सवाल,
ज्वार भाटे सी विचार लहरें जब मांगती हैं जवाब।
कह दो तो लिख दूं अनकहे शब्दों की आवाज,
आँखों से बेहिसाब बहते खारे पानी का हिसाब।
बेनिशान दर्द से कराहते उन जख्मों का हिसाब,
निर्दोषों लाचारों पर हो रहे अत्याचारों का जवाब।
माता-पिता के अंतर्मन में मौन रहे जो मनोभाव,
जीवन में लाचार बेटियों के अधूरे रहे वो ख्वाब।
लचर कानून को अब बदलकर सख्त हो हिसाब,
अत्याचारी दरिंदों को मृत्युदंड का आखिरी दाँव।
कलम बनी है रचनाकारों की समाज की आवाज,
कभी ये क्रांति की तलवारें बन उठती हैं ललकार।
कलम जुबानी स्याही से सफ़हे पर शब्दों का उभार
संवेदनाओं की रंगीन तस्वीर रंगती लेखनी बार-बार।
© उषा शर्मा ✍️
Gunjan Kamal
19-Jul-2023 03:25 AM
👏👌
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Reena yadav
18-Jul-2023 10:33 PM
👍👍
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Varsha_Upadhyay
18-Jul-2023 10:07 PM
Nice
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